हैप्पी फेस्टिवल के अंतर्गत हम इस आर्टिकल में आपके साथ Ved In Hindi की महत्त्वपूर्ण जानकारी आपके साथ सांझा करने वाले हैं। इसमें वेदों की रचनाकाल और भारतीय विचारकों की अवधारणा, गीता के विज्ञान (Hindi Geeta) के बारे में क्या कहते हैं? इस आर्टिकल में बताने वाले हैं आप इसे पूरा पढ़ें। तो चलिए जानते हैं वेदों की रचना काल के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारी हैं।
वेदो का रचनाकाल (Vedo Ka Rachnakal)
राष्ट्र संघ ने दुनिया भर के विशेषज्ञों के परीक्षण के बाद ऋग्वेद को संसार की पहली लिखित पुस्तक की मान्यता दे दी है और एक हस्तलिखित प्रति जो लगभग साढ़े तीन हजार वर्ष पुरानी उसको संरक्षित भी कर लिया है। यदि साढ़े तीन हजार वर्ष पुरानी एक प्रति आज उपलब्ध है तो यह अनुमान सहज है कि वेदों का रचना काल इससे भी प्राचीन होगा। इसका कारण यह है कि लिपि के आविष्कार के पूर्व वेद श्रुतियों और स्मृतियों में ही सुरक्षित थे।
हजारों वर्षों तक एक वर्ग ने सुन कर याद रखा बाद में शब्द के रूप में आए। अभी पूरा संसार इस बात पर एक मत नहीं है कि वेदों (Ved) की प्राचीनता कितनी है। यदि इसी एक बात पर विचार करें कि ऋग्वेद वेदों की एक प्रति उपलब्ध है जो लगभग साढ़े तीन हजार पुरानी है तो साढ़े तीन हजार वर्ष पूर्व की दुनिया की तस्वीर कैसी थी इसे जानना मुश्किल नहीं है। आज रोम का, यूनान का, मिस्र का, चीन का इतिहास उपलब्ध है। सामाजिक, सांस्कृतिक और शिक्षा की जानकारी उपलब्ध है।
साढ़े तीन हजार साल पहले केवल भारत में ही विश्वविद्यालय हुआ करते थे। केवल भारत में ही पंचांग यानी कैलेंडर चला करता था। अनुसंधान और विज्ञान वहीं तो होगा, जहाँ विश्वविद्यालय होंगे और यदि भारत में विश्वविद्यालय थे तो यहीं अनुसंधान होते थे और यहीं विज्ञान का केन्द्र था।
वेदों के रचना काल की धारणाएँ (Ved Ki Rachna)
वेदों के रचना काल को लेकर तीन धारणाएँ हैं। एक धारणा वैदिक कर्मकाण्ड कर्त्ताओं की है, वेद-रचना को कम से कम 17 से 21 लाख साल पुराना मानते हैं। उनका तर्क है कि वेदों की रचना त्रेता युग से पूर्व पूर्ण हो गई थी। त्रेता यानी रामायण काल। नासा ने भारत और श्रीलंका जोड़ने वाले ‘रामसेतु’ को लगभग साढ़े सत्रह लाख साल पुराना माना है।
मान्यता है कि यह सेतु रघुनंदन राम ने अपनी श्रीलंका अभियान में बनाया था, तब वेद रचना (Ved Rachna) काल इससे पूर्व का माना गया। दूसरी धारणा है कि वेद रचना काल लगभग 10 हजार से 14 हजार वर्ष के बीच हुआ। इस धारणा का आधार यह है कि इस काल में मानवीय सभ्यता अतिविकसित थी और उसका केन्द्र भारत था। इस सभ्यता का अंत उस भयानक प्रकोप के साथ हुआ जिससे 90 प्रतिशत धरती जलमग्न हो गई।
यह आपदा इतनी भीषण थी कि धरती के कुछ हिस्से एकदम उलट गए। इसके चिह्न मोहन जोदड़ो और हड़प्पा में भी मिलते हैं और द्वारिका की खुदाई में भी। वेदों के बारे में तीसरी धारणा मैक्समूलर की है। मैक्समूलर एक पादरी थे। उन्होंने संस्कृत सीखी और घोषणा की कि दुनियाभर में अध्यात्म और विज्ञान के बारे में जो लिखा गया है वह वेदों में पहले से है। उन्होंने वेदों का कालखण्ड लगभग साढ़े तीन हजार वर्ष पूर्व माना।
भारतीय विचारकों की धारणा Ved ke bare main
भारत के विचारक किसी विदेशी अनुसंधानकर्त्ता की धारणा को अंतिम सत्य मानते हैं। यदि हम मैक्समूलर द्वारा निर्धारित अवधि को आधार मान कर ही विचार करें तब भी आज के तमाम वैज्ञानिक अनुसंधानों का सूत्र भारत को ही जाना जायेगा। ऋग्वेद में अग्नि के आविष्कार का वर्णन है। कम से कम एक दर्जन ऋचाएँ इस अनुसंधान के बारे में हैं। वहीं ‘अरणियों’ पर बल लगा कर अग्नि उत्पन्न करने की बात है तो कमल दल से।
आविष्कारों के नाम में कुछ अंतर है। कहीं ‘भृगु’ का नाम है तो कहीं अर्थवर्ण की तो कहीं ‘भृगु अंगिरा’ का। ऋग्वेद (1: 4: 2) और (6: 16: 13) (6: 15: 17) में अग्नि को उत्पन्न करने का वर्णन है जबकि प्राचीन ग्रीक कथाओं में अग्नि को स्वर्ग से चुरा कर लाने की बात लिखी है। जो ‘देव’ स्वर्ग से अग्नि को चुरा कर लाया उसका नाम ‘प्रोमब्यूज’ है वह टिटन आयोपेटस का पुत्र था। इसका अर्थ है कि अग्नि का आविष्कार भारत में हुआ और यूरोप में अग्नि ‘चोरी’ करके ले जाई गई।
प्राचीन अरबी साहित्य और प्राचीन यूनानी साहित्य में भारत को ‘स्वर्ग’ कहा गया है। इसका आशय यह भी हो सकता है कि भारत से अग्नि यूरोप ले जाई गई। इसीलिए वहाँ अग्नि के आविष्कार की बात नहीं बल्कि अग्नि को चुरा कर ले जाने की बात लिखी है। यह घटना ईसा से 700 वर्ष पूर्व की बैठती है अर्थात् भारत अग्नि के आविष्कार के सैकड़ों साल बाद ग्रीस में अग्नि पहुँची।
वैदिक साहित्य में उल्लेख
वैदिक साहित्य में केवल अरणियों में बल लगा कर अग्नि उत्पन्न करने का उल्लेख नहीं है कि धरती और समुद्र के भीतर अग्नि होने का जिक्र है। पानी से अग्नि माँगने का उल्लेख है। इसका आशय हुआ कि धरती के नीचे ज्वालामुखी या समुद्र के ज्वालामुखी का ज्ञान वैदिक ऋषियों को हो गया था। पानी छूने में भले ठंडा लगे लेकिन उसकी तासीर गर्म होती है।
पानी से अग्नि माँगने का आशय यह भी है कि भारत में इस गुणधर्म की खोज कर ली थी। ऋग्वेद Ved में रथ के निर्माण (10: 16: 20) का वर्णन है। अनेक स्थानों पर “कीर्तिअश्र” ही आगे चलकर दुनिया में ‘हार्स पावर’ के रूप में मशहूर हुआ। भला सौ घोड़ों से जुता हुआ कोई वाहन चल सकता है? घोड़ों की जितनी लंबी कतार होगी? जैसे नियंत्रित होंगे।
इसका मतलब है कोई यंत्र, कोई मशीन, कोई कार और कोई विमान ऐसा खोजा होगा, जिसमें ‘सौ हार्स पावर’ का इंजन लगा होगा। विमान की उड़ान का परीक्षण बंधुओं से वर्षों पहले मुंबई में हो चुका था जिसके दस्तावेज मौजूद हैं। इस आधार पर ही एक फिल्म भी रिलीज हुई है।
गीता में विज्ञान (Science in Gita)
श्रीमद्भागवत गीता के 5152 वर्ष बीत चुके हैं। यह अवधि कुरुक्षेत्र की खुदाई और गुजरात में द्वारिका के शोध से मेल खाती है फिर भी मेक्समूलर ने Geeta) को 2900 वर्ष पूर्व माना है। यदि इसी को आधार बनाया जाये तब भी गीता के दसवें अध्याय में अद्भुत वैज्ञानिक निष्कर्ष हैं। ‘इसमें योगेश्वर कृष्ण ने’ ज्योतियों में सूर्य ‘और’ वृक्षों में पीपल’की श्रेष्ठता बताई। आधुनिक विज्ञान ने खोजा है कि सूर्य ही’ लाइट ” हीट ‘और’ एनर्जी’ की सोर्स है।
अर्थात् कृष्ण नक्षत्र विज्ञान के जानकार थे, विशेषज्ञ थे। इसका अर्थ है उस काल में भारत का विज्ञान इतना उन्नत था कि वे जानते थे कि प्रकाश का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र सूर्य है। इस जानकारी के आगे आज भी विज्ञान बना हुआ। इसी अध्याय में वह कहते हैं कि’मैं वृक्षों में पीपल हूँ।’ यह वनस्पति विज्ञान का सर्वोत्कृष्ट निष्कर्ष है। केवल पीपल है जिसकी जड़ें जल का संचय करती हैं, उसके तने पर ऐसा वायरस होता है जो वायु प्रदूषण को नियंत्रित और पीपल की पत्तियाँ चौबीसों घंटे ऑक्सीजन देती हैं।
इसका अर्थ है कि महाभारत काल से पहले भारतीयों को इसका ज्ञान था कि प्रकाश का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र सूर्य है और वनस्पति में सर्वश्रेष्ठ पीपल है। यदि श्रीमद्भागवत Geeta के कालखंड को हम मैक्समूलर के अनुसार ही 2900 वर्ष पूर्व मानें तब दुनिया का नक्शा देख लें। क्या स्थिति थी रोम साम्राज्य की, क्या यूनान की, क्या लंदन या फ्रांस की और क्या स्थिति अमेरिका की थी, यूरोप में विज्ञान के आविष्कार पांच सौ साल पहले शुरू हुए। यदि किसी ने चोरी-छिपे भी काम शुरू किया तो उसे दंडित किया जाता था।
निष्कर्ष
ऊपर दिए गए आर्टिकल के अनुसार आपने वेदों के बारे में जाना है। वेदों की रचना काल के बारे में उसकी अवधारणा के बारे में पढ़ा। आशा है आप को ऊपर दी गई Ved In Hindi महत्त्वपूर्ण जानकारी अच्छी लगी होगी। आर्टिकल पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और happy festival के आर्टिकल पढ़े।
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