भारतीय जीवन में विज्ञान परंपरा । Bartiye Jeevan Me Vigyan

भारतीय जीवन (Bartiye Jeevan) शैली में विज्ञान की परंपरा समझने से पहले दो-तीन बातें जान लेना जरूरी है। सबसे पहली तो यही कि भारत में प्रत्येक शब्द उसके अर्थ और आशय के आधार पर प्रचलित। हम शब्द से ही उस विषय की परिभाषा जान सकते हैं। इसलिए भारत में भाषा भी एक विज्ञान है। यह विशेषता केवल Bharat में ही है कि जो बोला जाता है वही लिखा जाता है और जो लिखा जाता है वही बोला जाता है। ऐसी विशेषता दुनिया के किसी देश की भाषा में नहीं है।

Bartiye Jeevan Me Vigyan
Bartiye Jeevan Me Vigyan

Jeevan Me Vigyan

भारतीय भाषा (Bartiye Bhasha) संस्कृत का व्याकरण कम से कम दो हजार साल पुराना है, जबकि अन्य भाषाओं का व्याकरण बमुश्किल दो सौ साल पहले ही तैयार हुआ। इसमें अंग्रेजी भी शामिल है। संस्कृत का 108 वर्णाक्षरों का विशाल फलक है जो दुनिया में इतना वैज्ञानिक कहीं नहीं है। उस संदर्भ में यदि विज्ञान (Vigyan) शब्द के अर्थ और आशय को समझें तो किसी वस्तु, विषय, भाव या जन-जीवन के विशेष अध्ययन के आधार पर उत्पन्न ज्ञान को ही ‘विज्ञान’ कहा गया है। प्राणी की जिज्ञासा उसे विषय-वस्तु का बोध कराती है और यही आरंभिक बोध विस्तृत अध्ययन के बाद ‘विज्ञान’ का रूप लेता है।

Vigyan के अर्थ आशय को समझने के बाद हमें उस धारणा से ऊपर उठना पड़ेगा कि आज की सभ्यता विकास केवल पाँच हजार साल के भीतर है। इन्हीं पाँच हजार साल के भीतर मनुष्य आदिम युग से आधुनिक युग में आया। हो सकता है धरती-धरती के किसी हिस्से में ऐसा रहा हो, लेकिन यह पूरी दुनिया पर लागू नहीं होता। मिस्र के पिरामिड से अजंता की गुफाओं तक सैकड़ों ऐसे निर्माण हैं जिन्हें बनाना आज की आधुनिक तकनीकी और संसाधनों से भी असंभव-सा लगता है।

Bharat Me Vigyan

इन्हें आश्चर्य कहकर नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। कुरूक्षेत्र, द्वारिका, कंबोडिया, लेटिन अमेरिका और इटली की पुरातात्विक खुदाई में ऐसे शिल्प और मूर्तियाँ मिली हैं जो आश्चर्यचकित करते हैं। मोहन जोदड़ो और हड़प्पा में नगरों का मास्टर प्लान चौंकाने वाला है। इन सबमें तकनीकी और विज्ञान की उत्कृष्टता के दर्शन होते हैं। इसका अर्थ है कि हजारों साल पहले भी दुनिया में ऐसे लोग थे जो कि न केवल विज्ञान और तकनीकी के जानकार थे बल्कि उनका उपयोग भी करते थे।

भारत में विज्ञान (Bharat Me Vigyan) को समझने के लिए हमें उस धारणा से ऊपर उठना होगा कि आधुनिकता की नींव केवल पाँच हजार पुरानी है और भारत केवल चरवाहों, सपेरों या ऐसे कि किन्हीं खेतिहरों की धरती रही है। भारत निस्संदेह ज्ञान और विज्ञान का उद्गम स्थल है।

विज्ञान अंधविश्वास नहीं

Bharat Me Vigyan को समझने के लिए हमें किसी की आलोचना नहीं करनी, किसी धारणा का खंडन नहीं करना। लेकिन किसी धारणा से चिपकना नहीं है, उस पर अंधविश्वास नहीं करना। जो लोग धर्म, अध्यात्म अथवा विज्ञान पर अंधविश्वास करते हैं उन्हें अल्पज्ञानी कहा जाता है इसीलिए विज्ञान का सिद्धांत है कि सदैव अनुसंधान करना और आगे बढ़ना। प्रत्येक नई खोज पुरानी खोज की दुनियाभर पर ही आगे बढ़ती है, लेकिन उसे अप्रासंगिक भी करती है।

इसका अर्थ न तो पुरानी खोज अवैज्ञानिक थी और न पुरानी से चिपक कर नई खोज का तिरस्कार ही करना चाहिए। पुराना अनुसंधान ही नए अनुसंधान का आधार बनता है। इसीलिए नवीनता को स्वीकार करना ही विज्ञान का उद्घोष है। इसी बात को वैदिक ऋषि ने नेति-नेति कहा। अर्थात् अंत नहीं।

अर्थात् जो हम देख रहे हैं, सुन रहे हैं अनुभव कर रहे हैं वह अंतिम नहीं है। शब्दों और कहने के तरीके में अंतर भले हो लेकिन इन दोनों मन्तव्यों का संदेश एक है ‘अंतिम नहीं’ और दूसरा ‘ नवीनता को स्वीकार करो—इसका अर्थ हुआ कि आधुनिक विज्ञान जिसका संदेश दे रहा है उसका उद्घोष वेदों में मौजूद है। यदि विज्ञान, किसी भी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं रुकता तो वेद ने भी कहा अंतिम

विकास का क्रम है Vigyan

ऐसा नहीं है कि आज की पीढ़ी ने या आधुनिक जीवन ने ही विज्ञान से साक्षात्कार किया है। जिज्ञासा विज्ञान की और आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। जब मनुष्य ने पत्थरों को रगड़ कर आग उत्पन्न करना सीखा तो यह उस समय का विज्ञान (Vigyan) था। मिट्टी का दिया ना कर प्रकाश उत्पन्न करना सीखा तो यह उस समय का विज्ञान था। विचार करके देखिए मिट्टी का दिया बनाना, कपास से बाती बनाना, मूँगफली या सरसों से तेल निकाल कर दिए में डालना फिर दिया सलाई से प्रकाश उत्पन्न करना।

जब पहली बार इस प्रकार दिए से प्रकाश उत्पन्न किया होगा तब तत्कालीन समाज उसी प्रकार चमत्कृत रह गया होगा जैसे पहली बार बल्ब या ट्यूबलाइट को देख कर हुआ था। ठीक उसी प्रकार लकड़ी के या लोहे के पहिए नुमा चक्र बना कर वाहन तैयार किया होगा और उसे पशुओं की सहायता से चलाना प्रारंभ किया होगा तो सब यह ठीक उसी प्रकार का आविष्कार रहा था जैसा पहली बार कार देख कर हुआ। यदि वह वाहन या बैलगाड़ी न बनती तो इंसान कार कभी नहीं बना सकता था।

हमें यह बात समझ लेना चाहिए कि विकास का क्रम ही Vigyan है। अब सवाल उठता है कि अग्नि का आविष्कार कहाँ हुआ। इसका निर्विवाद उत्तर है भारत में। दुनिया की सबसे प्राचीनतम पुस्तक ऋग्वेद मानी गई है। ऋग्वेद में चक्र के आविष्कार की, अग्नि के आविष्कार की और ‘कीर्तिअ’ यानी हार्सपावर का जिक्र है तो स्वयं प्रमाणित है कि दुनिया में विज्ञान (Duniya me vigyan) का शुभारंभ भारत में हुआ।

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