Ahoi Ashoka Ashtami vrat katha अहोई अशोक अष्टमी व्रत कथा क्या है? इस व्रत में क्या-क्या करना चाहिए? कैसे यह व्रत खोलें? अहोई अशोक अष्टमी व्रत कथा के बारे में जानेंगे। इस व्रत की कहानी (Ashoka Ashtami vrat katha) को भी पढ़ेंगे तो चलिए आर्टिकल स्टार्ट करते हैं पूरा पढ़ें।
अहोई का अशोकाष्टमी का व्रत (Ahoi Ashoka Ashtami vrat)
यह व्रत प्रायः कार्तिक बदी अष्टमी (Ashtami) को उसी वार को किया जाता है जिस वार की दीपावली होती है। इस दिन स्त्रियों की आरोग्यता और दीर्घायु प्राप्ति के लिए Ahoi mata का चित्र दीवार पर माँड कर pujan किया जाता है।
अशोकाष्टमी का व्रत विधि (Ahoi Ashoka Ashtami)
अहोई का व्रत दिन भर किया जाता है। जिस समय तारामण्डल आकाश में उदय हो जाए उस समय वहाँ पर एक जल का लोटा रखकर चाँदी की स्याऊ और दो गुड़िया रखकर मौली नाल में पिरो ले। तत्पश्चात् रोली-चावल से अहोई माता के सहित स्याऊ माता का अरचे और सीरा आदि का भोग लगा कर कहानी सुने।
अहोई का अशोकाष्टमी व्रत कथा (Ahoi Ashoka Ashtami vrat katha)
एक नगर में साहूकार रहा करता था उसके-सा लड़के थे। एक दिन उसकी स्त्री खदाने में मिट्टी खोदने के लिए गई और ज्यों की उसने जाकर वहाँ कुदाली मारी त्यों ही सेही के बच्चे कुदाल की चोट से सदा के लिए सो गये। इसके बाद उसने कुदाल को स्याहू के खून से सना देखा तो उसे सेही के बच्चे मर जाने का बड़ा दुःख हुआ परन्तु वह विवश थी क्योंकि यह काम उससे अंजाने में हो गया था।
इसके बाद वह बिना मिट्टी लिये ही खेद करती हुई अपने घर आ गई और उधर जब सेही अपनी घुरकाल में आई तो अपने बच्चों को मरा हुआ देखकर नाना प्रकार से विलाप करने लगी और भगवान से प्रार्थना की कि जिसने मेरे बच्चों को मारा है। उसे भी इसी प्रकार का कष्ट होना चाहिए।
तत्पश्चात सेही के श्राप से सेठानी के सातों लड़के एक ही साल के अन्दर समाप्त हो गये अर्थात् मर गये। इस प्रकार अपने बच्चों को असमय काल के मुँह में समाये जाने पर सेठ-सेठानी इतने दुःखी हुए कि उन्होंने किसी तीर्थ पर जाकर अपने प्राण गंवा देना उचित समझा।
Ahoi Ashoka Ashtami vrat katha
इसके बाद वे घर छोड़कर पैदल ही किसी तीर्थ की ओर चल दिये और खाने की ओर कोई ध्यान न देकर जब तक उनमें कुछ भी शक्ति और साहस रहा तब तक वे चलते ही रहे और जब वे पूर्णतया अशक्त हो गये तो अन्त में मूर्छित होकर गिर पड़े। उनकी ऐसी दशा देखकर भगवान् करुणा सागर ने उनको मृत्यु से बचाने के लिये उनके पापों का अन्त किया और इसी अवसर में आकाशवाणी हुई कि-हे सेठ तेरी सेठानी ने मिट्टी खोदते समय ध्यान न देकर सेही के बच्चों को मार दिया,
इसके कारण तुम्हें अपने बच्चों का दुःख देखना पड़ा यदि अब पुनः घर जाकर तुम मन लगाकर गऊ की सेवा करोगे और अहोई माता अजक्ता देवी का विधि विधान से व्रत आरम्भ कर प्राणियों पर दया रखते हुए स्वप्न में भी किसी को कष्ट नहीं दोगे तो तुम्हें भगवान् की कृपा से पुन: संतान का सुख प्राप्त होगा।
इस प्रकार आकाशवाणी सुनकर सेठ सेठानी, कुछ आशान्वित हो गए और भगवती देवी का स्मरण करते हुए घर को चले आये। इसके बाद श्रद्धा-भक्ति से न केवल अहोई माता का व्रत अपितु गऊ माता की सेवा करना भी उन्होंने आरम्भ कर दिया तथा जीवों पर दया भाव रखते हुए क्रोध और द्वेष का सर्वथा परित्याग कर दिया। ऐसे करने के पश्चात् भगवान् की कृपा से वे सेठ सेठानी सातों पुत्रों वाले होकर अगणित पौत्रों सहित संसार में नाना प्रकार के सुखों को भोगकर स्वर्ग चले गये।
व्रत कथा शिक्षा:
बहुत सोच विचार के बाद भली प्रकार निरीक्षण करने पर ही कार्य का आरम्भ करो और अनजाने में भी किसी प्राणी की हिंसा मत करो। गऊ माता की सेवा के साथ-साथ अहोई माता अजक्ता देवी भगवती की पूजा करो। ऐसा करने पर अवश्य सन्तान के सुख के साथ-साथ सम्पत्ति सुख प्राप्त होगा।
Ahoi Ashoka Ashtami vrat 2022 तिथि दिनांक: दीपावली से आठ दिन पहले किया जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत 17 अक्टूबर 2022, सोमवार के दिन किया जाएगा।
और अधिक पढ़े: Ahoi Ashtami || अहोई आठें अष्टमी व्रत पूजा उजमन विधि