Mokshada Ekadashi मोक्षदा एकादशी व्रत कथा और महत्त्व

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा और महत्त्व, इसका अर्थ क्या होता है? यह Ekadashi मनाने का रीजन क्या है? आप कैसे इस Mokshada Ekadashi को मना सकते हैं? और मोक्ष एकादशी कब है? आदि तमाम जानकारी आप happy festival आर्टिकल के माध्यम से पढ़ सकते हैं। चलिए जानते हैं मोक्षदा एकादशी के बारे में,

Mokshada Ekadashi मोक्षदा एकादशी व्रत कथा और महत्त्व
Mokshada Ekadashi

Mokshada का अर्थ क्या है?

जैसे कि आप सभी जानते हैं मोक्ष का अर्थ होता है मुक्ति मिलना, तो मोक्षदा एकादशी मनाने का रीजन या अर्थ यही होता है कि इस मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है। यह पहले का इतिहास रहा है जिसमें मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिला हो जिसे मोक्षदा मार्ग कह सकते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में मोक्ष प्राप्ति का रास्ता बताया है। इसीलिए मोक्षदा का मतलब होता है।

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

Mokshada Ekadashi अगहन शुक्ल मास ग्यारस में है। यह शुक्ल पक्ष की एकादशी मोक्षदा एकादशी कहलाती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध काल में युद्ध के प्रारंभ होने से ही पूर्व मोहित हुए अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया था।

इस दिन श्रीकृष्ण का स्मरण और गीता का पाठ या अध्याय करना चाहिए, गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म योग पर विशेष बल व, ज्ञान दिया है। तथा आत्मा को अजर अमर अविनाशी बताया है। जिस प्रकार से मनुष्य अपने पुराने कपड़ों को उतारकर नए कपड़े धारण कर लेता है। उसी प्रकार से हमारे अंदर बैठे आत्मा भी जर्जर शरीर को छोड़कर एक नया शरीर धारण करती है। इस प्रकार से मोक्षदा एकादशी व्रत का कथा मानी जाती है।

आप मोक्षदा एकादशी कैसे मनाते हैं?

चलिए आप जानते हैं कि आप Mokshada Ekadashi को कैसे मनाए? मोक्षदा एकादशी के दिन आपको मिथ्या भाषण, या अपशब्द, चुगली तथा अन्य किसी भी प्रकार के दुष्कर्म से बचना चाहिए और ऐसे विचारों का त्याग करना चाहिए, ताकि हमारे आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो,

सद्गुण हमारे अंदर समाहित हो, भगवान श्री कृष्ण ने गीता में संदेश दिया, उन संदेशों का पाठ करना चाहिए और अपने जीवन में उतारना चाहिए, ताकि हमें भगवत प्राप्ति हो। इस प्रकार से आप हम लोग मोक्षदा एकादशी व्रत को मना सकते हैं।

मोक्षदा एकादशी कब है

Mokshada Ekadashi व्रत कब है? मैं आपको बताना चाहता हूँ कि दिसम्बर 2022 दिन रविवार 4 / 12 / 2022 को मोक्षदा एकादशी ग्यारस है। इस प्रकार से आप पंचांग के अनुसार मना सकते हैं और अधिक व्रत कथा पढ़ें।

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