मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा का महत्त्व Margashirsha Purnima

हैवी फेस्टिवल में आपका स्वागत है। इस जानकारी के साथ आप जानेंगे मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत इसका महत्त्व क्या है? और Margashirsha Purnima मनाने का रीजन, साथ में कैसे मनाते हैं क्या करते हैं? चलिए post के माध्यम से जानते हैं।

Margashirsha Purnima
Margashirsha Purnima

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत

Margashirsha Purnima के व्रत में भगवान नारायण की पूजा का विधान है। सबसे पहले नियम पूर्वक पवित्र होकर स्नान करें, सफेद कपड़े पहने और आचमन करें, इसके बाद व्रत रखने वाले ओम नमो नारायण मंत्र का जाप करें। चौकोर वेदी बनाये, जिसकी लंबाई चौड़ाई एक हाथ,

चौकोर बेदी पर हवन करने के लिए अग्नि स्थापित करें, तेल घी बूरा आदि की आहुति दें, हवन की समाप्ति के बाद भगवान का पूजन करना चाहिए और अपना व्रत उनके अर्पण कर श्लोक कहे;

पौर्ण मास्यं निराहारः स्थिता देव तवाज्ञया।
मोक्ष्यादि पुण्डरीकाक्ष परेऽह्नि शरणं भव॥

इसका अर्थ होता है हे देव पुण्डरीकाक्ष में पूर्णिमा को निराहार व्रत रखकर के दूसरे दिन आपकी आज्ञा से भोजन ग्रहण करुगा। आप मुझे अपनी शरण लेने इस प्रकार से भगवान के व्रत को करना चाहिए और समर्पित करके, सायंकाल चन्द्रमा के उदय होने पर दोनों घुटनों के बल बैठकर सफेद फूल, अक्षत, चंदन, जल सहित चन्द्रमा को अर्घ्य देवें। अर्घ्य देते समय चन्द्रमा से विनती करें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा में ध्यान करें

हे देवता आपका जन्म अतिकुल में हुआ है और आप छीर सागर में प्रकट हुए हैं, मेरे अर्ध को स्वीकार करें। चंद्रमा को अर्ध्य देने के पश्चात हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि हे, भगवान आप श्वेत किरणों से सुशोभित हैं। आपको मेरा नमस्कार,

आप द्र्जो के राजा हैं आपको मेरा नमस्कार, आप रोहिणी के पति हैं आप को मेरा नमस्कार। इस प्रकार से रात्रि होने पर भगवान की मूर्ति के पास सोना चाहिए, दूसरे दिन भोजन कराने और दान करें।

Margashirsha Purnima Vrat कब है?

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 2022 में बुधवार 7 दिसम्बर 2022 से अगले दिन गुरुवार 8 दिसम्बर 2022 तक मार्गशीर्ष पूर्णिमा है।

निष्कर्ष:

ऊपर दिए गए आर्टिकल के अनुसार आपने मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत के महत्त्व को जाना, ऐसे व्रत मनाने के लिए क्या करना होता है? तमाम जानकारी पढ़ी। आपको यह जानकारी काफी अच्छी लगी होगी आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद,

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