About Diwali In Hindi | दीपावली का महत्त्व | Essay Diwali

दीपावली का सांस्कृतिक महत्त्व, Diwali nibandh in hindi जानकारी, दीपावली मनाने का कारण क्या-क्या है? deepavali par nibandh आप हिन्दी में पड़ेंगे। About Diwali In Hindi जानकारी आप इस पोस्ट में पढ़ेंगे। दीपाली का महत्त्व आप पढ़े।

About Diwali In Hindi
About Diwali In Hindi

About Diwali In Hindi (दीपावली)

कार्तिक मास की अमावस्या को Diwali का पर्व पूरे देश में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। इसे रोशनी (Light) का पर्व कहना भी ठीक लगता है। जिस प्रकार Raksha Bandhan ब्राह्मणों का, Dussehra क्षत्रियों का, होली शूद्रों का त्यौहार है, उसी प्रकार दीपावली वैश्यों का festival माना जाता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि इन पर्वों को उपर्युक्त वर्ण के व्यक्ति ही मनाते हैं। अपितु सब वर्गों के लोग मिलकर इन त्यौहारों (Happy festival) को मनाते हैं।

About Diwali In Hindi इस दिन धन की देवी लक्ष्मी Ji को प्रसन्न करने के लिए पहले से घरों की पुताई करके साफ सुथरा कर लिया जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या को भगवान श्री रामचन्द्र (Ram) जी 14 वर्ष का बनवास काटकर रावण को मारकर अयोध्या लौटे थे। Ayodhya वासियों ने श्री रामचन्द्रजी के लौटने की खुशी में दीपमालाएँ जलाकर महोत्सव मनाया था। इस दिन Ujjain सम्राट् विक्रमादित्य का राजतिलक भी हुआ था।

Vikrami Samvat का आरम्भ तभी से माना जाता है। अतः यह नववर्ष का first दिन है। आज के दिन व्यापारी अपने बही खाते बदलते हैं तथा लाभ हानि का ब्यौरा तैयार करते हैं। Diwali पर जुआ खेलने की भी प्रथा है। इसका प्रधान लक्ष्य वर्षभर में भाग्य की परीक्षा करना है। वैसे इस द्यूत क्रीड़ा को राष्ट्रीय दुगर्ण ही कहा जायेगा।

About Diwali poojan in hindi (पूजन विधि)

Market में आजकल दीपावली (Diwali) के पोस्टर पूजा हेतु मिलते हैं। इन्हें दीवार पर चस्पा कर लेते हैं या Diwaal पर गेरुआ रंग से गणेश लक्ष्मी की मूर्ति बनाकर पूजन करते हैं। Ganesh Lakshmi की मिट्टी की प्रतिमा चा चाँदी की प्रतिमा बाज़ार से लाकर दीवार पर रखी लक्ष्मी गणेश के चित्र के सामने रखते हैं।

इस दिन धन के देवता kuber, विघ्न विनाशक गणेशजी, इन्द्रदेव तथा समस्त मनोरथों को पूरा करने वाले विष्णु भगवान (Lord Vishnu) , बुद्धि की दाता सरस्वती तथा लक्ष्मी की पूजा साथ-साथ करते हैं। Diwali के दिन दीपकों की पूजा का विशेष महत्त्व है। इसके लिए दो थालों में दीपक रखें। छः चौमुखे दीपक दोनों थालों में रखें। छब्बीस छोटे Deepak भी दोनों थालों में सजायें।

इन सब Dipako को प्रज्जवलित करके जल, रोली, खील बताशे, चावल, गुड़, अबीर, गुलाल, धूप आदि से पूजन करें और टीका लगावें। व्यापारी लोग दुकान की गद्दी पर Ganesh Lakshmi की प्रतिमा रखकर पूजा करें। इसके बाद घर आकर Poojan करें। पहले पुरुष फिर स्त्रियाँ पूजन करें। स्त्रियाँ चावलों का बायना निकालकर उस पर रुपये रखकर अपनी सास के चरण स्पर्श करके उन्हें दे दें तथा आशीर्वाद प्राप्त करें। Puja करने के बाद दीपकों को घर में जगह-जगह पर रखें।

एक चौमुखा Dipak, छ: छोटे दीपक गणेश लक्ष्मीजी के पास रख दें। चौमुखा दीपक (all round lamp) का काजल सब बडे, बूढ़े बच्चे अपनी आँखों में डालें। दूसरे दिन प्रातः चार बजे पुराने छाज में कूड़ा रखकर कूड़े को दूर फेंकने लिए ले जाते हुए कहते हैं-“लक्ष्मी Laxmi आओ, दरिद्र-दरिद्र, जाओ।”

About Diwali Story in hindi (कथा)

दिवाली की कहानी: एक साहूकार था। उनकी पुत्री प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी। पीपल पर लक्ष्मीजी का वास था। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा, तुम मेरी सखी बन जाओ। उसने लक्ष्मीजी से कहा, मैं कल अपने पिता से पूछूंगी और मैं उत्तर दूंगी। जब बेटी ने पिता से कहा कि एक महिला मुझे पीपल पर अपनी सहेली बनाना चाहती है। पिता ने कहा हाँ। दूसरे ही दिन साहूकार की बेटी ने सहेली बनना स्वीकार कर लिया।

एक दिन लक्ष्मी जी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गईं। लक्ष्मीजी ने उन्हें ओढ़ने के लिए शाल और दुपट्टा दिया और सोने के बने एक खंभे पर बिठा दिया। सोने की थाली में उन्हें तरह-तरह के पकवान खाने को दिए जाते थे। जब साहूकार की बेटी खापी करके अपने घर लौटने लगी तो लक्ष्मीजी ने कहा कि तुम मुझे अपने घर कब बुला रही हो।

पहले तो सेठ की बेटी ने मना किया, लेकिन फिर वह मान गई। घर आकर वह बैठ गई। सेठ ने कहा, तुम लक्ष्मीजी को घर बुलाने आए हो और तुम खुद उदास बैठे हो। तब उनकी बेटी ने कहा – “लक्ष्मी जी ने मुझे इतना दिया और बहुत सुंदर भोजन बनाया। मैं उन्हें कैसे खिलाऊंगी, हमारे घर में कुछ भी उम्मीद नहीं है।

दीवाली की कहानी हिंदी में

फिर सेठ ने कहा कि जो कुछ भी खुद का बनाया है, वह देगा।” उसके निमित्त करो। तुम उसे तुरंत गोबर की मिट्टी से साफ कर देना। चौमुखा दीपक बनाकर लक्ष्मीजी का नाम लेकर बैठ जाना। उसी समय एक चील ने रानी के पास एक हार फेंका।

साहूकार की बेटी ने वह हार बेच दिया और एक सोने की चौकी, एक सोने की थाली, स्कूल-दुशाला और कई तरह का भोजन तैयार किया। थोड़ी देर बाद गणेश जी और लक्ष्मी जी उसके घर आए। साहूकार की बेटी ने बैठने के लिए एक सोने की चौकी दी।

लक्ष्मी जी ने बैठने से सख्त मना कर दिया और कहा कि राजा रानी इस पर बैठ जाती है। तब सेठ की बेटी ने लक्ष्मीजी को चौकी पर बिठा दिया। उसने लक्ष्मी जी के लिए बहुत कुछ किया, इससे लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुईं और साहूकार बहुत अमीर हो गया। हे लक्ष्मीदेवी! जैसे आपने साहूकार का पद स्वीकार किया बेटी और बहुत सारा पैसा दिया,

Happy Diwali Date: 24 / 10 / 2022 Day-सोमवार

Read:Narak Chaturdashi रूप चतुर्दशी एवं छोटी दीपावली व्रत कथा का महत्त्व

Leave a Comment