Happy festival में आपका स्वागत है। आप इस आर्टिकल के माध्यम से Vaikuntha Chaturdashi की पूजा कैसे की जाती है? बैकुंठ चतुर्दशी व्रत कथा और महत्त्व को आप पूरा जानेंगे। आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें चलिए जानते हैं baikunth chaturdashi व्रत कथा के बारे में चलिए स्टार्ट करते हैं।
Vaikuntha Chaturdashi vrat
दोस्तों बैकुंठ चतुर्दशी का तिथि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष को यह बैकुंठ चतुर्दशी का व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने के लिए भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। साथ में उन्हें भोग प्रसाद लगाया जाता है। उसके पश्चात पुष्प, धूप, दीप, चंदन, आदि हवन सामग्री से उनका पूजन कर उनकी आरती उतारी जाती है। तो इस प्रकार से Vaikuntha Chaturdashi vrat मनाया जाता है। चलिए अब हम इसकी कथा के बारे में जानते हैं।
बैकुंठ चतुर्दशी व्रत कथा (baikunth chaturdashi katha)
अब हम इस Vaikuntha Chaturdashi कथा के बारे में जानते हैं। एक बार नारद जी बैकुंठ धाम में भगवान विष्णु के पास गए, विष्णु ने नारद जी के आने का कारण पूछा कि आप कैसे आए हैं?
नारद जी बोले-कि हे भगवान आपको पृथ्वी वासी कृपा निधान काह कर बोलते हैं। किंतु इससे तो केवल आपके प्रिय भक्त ही तर पाएंगे। जिसके कारण सभी नर नारी आपकी कृपा के पात्र बन जाएंगे।
इस पर भगवान विष्णु बोले-यह कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को जो नर नारी व्रत का पालन करते हुए भक्ति पूर्वक मेरी पूजा करेंगे। उनको स्वर्ग की प्राप्ति होगी। इसके बाद भगवान विष्णु ने जय विजय को बुलाकर आदेश दिया कि आप कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को स्वर्ग के द्वार खुल जाएँ,
भगवान ने यह भी बताया कि इस दिन जो मनुष्य किंचित मात्र भी मेरा नाम लेकर पूजा करेगा। उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होगी। इस प्रकार से Vaikuntha Chaturdashi की कथा माना जाता है।
Baikunth Chaturdashi Vrat kab hai?
वर्ष 2022 में बैकुंठ चतुर्दशी का व्रत सोमवार दिन 7 नवंबर 2022 को है। जिसमें व्रत पूर्णिमा, बैकुंठ चतुर्दशी, (Vaikuntha Chaturdashi) कार्तिक शुक्ल 14 को है।
निष्कर्ष:
ऊपर दिए गए आर्टिकल के माध्यम से आपने Vaikuntha Chaturdashi व्रत कथा महत्त्व पूजा को जाना। आशा है आपको ऊपर दी गई जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी और व्रत कथा के बारे में जाने,
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