Dhanteras Ki Katha धनतेरस क्यों मनाया जाता है? धनत्रयोदशी Date 2022

हेलो फ्रेंड Happy Dhanteras Festival दोस्तों आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले हैं Dhanteras Ki Katha व धनतेरस क्यों मनाया जाता है? इस त्यौहार की मनाने का रीजन क्या है? Diwali से पहले धनतेरस (Dhanteras) क्यों मनाई जाती है? चलिए इसके बारे में जानते हैं, साथ में इसकी कथा को भी पढ़ते हैं पूरा पढ़ें चले स्टार्ट करें।

Dhanteras Ki Katha धनतेरस क्यों मनाया जाता है? धनत्रयोदशी Date 2022
Dhanteras Ki Katha धनतेरस क्यों मनाया जाता है? धनत्रयोदशी Date 2022

धन तेरस (धन त्रयोदशी) (Dhanteras)

कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी धन त्रयोदशी (Dhanteras) के रूप में मनाई जाती है। यह Dipawali के आने की शुभ सूचना है। इस दिन धन्वंतरि के पूजन का विधान है। कहते हैं कि इस दिन धन्वंतिर वैद्य (Ayurvedic) समुद्र से अमृत कलश लेकर आये थे। इसलिए धनतेरस को “ध्न्वंतरि जयन्ती” भी कहते हैं। इस दिन पर टूटे फूटे पुराने बर्तनों के बदले नये बर्तन खरीदते हैं। इस दिन चाँदी के बर्तन (Chandi bartan) खरीदना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

इस दिन वैदिक देवता यमराज (Yamraj) का भी पूजन किया जाता है। यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के द्वार पर रखा जाता है। रात (Night) को स्त्रियाँ दीपक में तेल डालकर चार बत्तियाँ जलाती हैं। जल, रोली, चावल, गुड़ और फूल आदि नैवेद्य सहित दीपक जलाकर यम का पूजन (Yam Ki Puja) करती हैं।

Dhanteras Ki Katha (धन तेरस कथा)

एक बार भगवान विष्णु Lakshmi Ji सहित पृथ्वी पर घूमने आये। कुछ देर बाद भगवान लक्ष्मीजी (Lakshmi Ji) से बोले-मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूँ। तुम वहीं ठहरो, परन्तु लक्ष्मीजी भी विष्णुजी (Vishnu bhagwan) के पीछे चल दीं। कुछ दूर चलने पर ईख का खेत मिला। लक्ष्मीजी एक गन्ना तोड़कर चूसने लगीं।

भगवान लौटे तो उन्होंने लक्ष्मीजी (Lakshmi Ji) को गन्ना चूसते पाया। इस पर क्रोधित होकर उन्होंने श्राप दे दिया कि तुम जिस किसान का यह खेत है उसके यहाँ पर 12 वर्ष तक उसकी सेवा करो। Vishnu bhagwan क्षीर सागर लौट गए तथा लक्ष्मीजी Kisan के यहाँ रहकर उसे धन धान्य से पूर्ण कर दिया।

12 वर्ष पश्चात् लक्ष्मीजी भगवान विष्णु (Lakshmi Ji Bhagwan Vishnu) के पास जाने के लिए तैयार हो गईं, परन्तु किसान ने उन्हें जाने नहीं दिया। भगवान (GOD) लक्ष्मीजी को बुलाने आये परन्तु Kisaan ने उन्हें रोक लिया। तब विष्णु भगवान बोले-तुम परिवार सहित गंगा स्नान करने जाओ और इन कोड़ियों को भी गंगाजल में छोड़ देना तब तक मैं यही रहूँगा।

धन तेरस कथा (Dhanteras Ki Katha)

किसान (Farmer) ने ऐसा ही किया। गंगाजी में कौड़ियाँ (Codiya) डालते ही चार चतुर्भुज निकले और कौड़ियाँ चलने को उद्यत हुए। ऐसा आश्चर्य देखकर किसान ने गंगाजी (Ganga Ji) से पूछा-ये चार हाथ किसके हैं। गंगाजी ने Farmer को बताया कि ये चारों हाथ मेरे ही थे। तुमने जो मुझे कौड़ियाँ भेंट की है, वे तुम्हें किसने दी है?

किसान बोला:-मेरे घर में एक स्त्री पुरुष आये हैं। वे लक्ष्मीजी और विष्णु भगवान (Lakshmi ji aur Vishnu bhagwan) हैं। तुम लक्ष्मीजी को मत जाने देना, नहीं तो पुनः निर्धन हो जाओगे। किसान ने घर लौटने पर Lakshmiji को नहीं जाने दिया। तब भगवान ने किसान को समझाया कि मेरे श्राप के कारण लक्ष्मीजी तुम्हारे यहाँ बारह वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही हैं। फिर Lakshmi ji चंचल हैं, इन्हें बड़े-बड़े नहीं रोक सके, तुम हठ मत करो।

फिर लक्ष्मीजी (Lakshmi ji) बोलीं हे किसान! यदि तुम मुझे रोकना चाहिते हो तो कल Dhanteras है। तुम अपना घर स्वच्छ रखना। रात्रि में घी का दीपक जलाकर रखना मैं तुम्हारे घर आऊँगी। तुम उस वक्त मेरी पूजा करना परन्तु मैं अदृश्य रहूँगी।

Kisaan ने लक्ष्मीजी की बात मान ली और लक्ष्मीजी द्वारा बताई विधि से पूजा की। उसका घर धन-धान्य से भर गया। इस प्रकार किसान प्रति वर्ष लक्ष्मीजी (Lakshmi ji) को पूजने लगा तथा अन्य लोग भी उनका पूजन करने लगे।

कथा यमराज (Dhanteras Ki Katha)

एक बार यमदूतों ने Yamraj को बताया कि महाराज अकाल मृत्यु से हमारे मन भी पसीज जाते हैं। यमराज ने द्रवित होकर कहा, “क्या किया जाए? विधि के विधान की मर्यादा हेतु हमें ऐसा अप्रिय कार्य करना पड़ता है। Yamraj ने अकाल मृत्यु से बचने का उपाय बताते हुए कहा,” धनतेरस के पूजन (Dhanteras ki Pujan) एवं दीपदान को विधिपूर्वक अर्पण करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा (mrutyu Mukt) मिल सकता है।

जहाँ-जहाँ जिस-जिस घर में यह Dhanteras ki Pujan होता है वहाँ अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसी घटना से धनतेरस के दिन धन्वंतरि पूजन सहित यमराज को दीपदान की प्रथा का प्रचलन हुआ।

Dhanteras date: शनिवार दिनांक 22 / 10 / 2022, प्रदोष व्रत 12 को धनतेरस की तिथि है।

निष्कर्ष

आपने ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से धनतेरस की कथा (Dhanteras Ki Katha) व धनतेरस पूजन सम्बंधी जानकारी पढ़ी। आशा है आपको यह जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी Happy Festival.

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