Sahastrabahu Jayanti – सहस्त्रबाहु जयंती 2025 के बारे में

Sahastrabahu Jayanti – सहस्त्रबाहु जयंती 2025 के बारे में

Jayanti

भारत के पौराणिक इतिहास में अनेक ऐसे वीर और धर्मरक्षक हुए हैं जिन्होंने समाज की रक्षा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्हीं में से एक नाम है Sahastrabahu (सहस्त्रबाहु) का। सहस्त्रबाहु जयंती पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाती है। इस लेख में हम जानेंगे कि सहस्त्रबाहु कौन थे, उनका अर्थ क्या है, और आखिर क्यों उनकी जयंती हर वर्ष इतनी श्रद्धा के साथ मनाई जाती है।

Sahastrabahu Jayanti – सहस्त्रबाहु जयंती 2025 के बारे में

About Sahastrabahu (सहस्त्रबाहु के बारे में)

Frinds, Sahastrabahu का अर्थ है “जिसके हजारों हाथ हों”। यह नाम शक्ति, पराक्रम और सामर्थ्य का प्रतीक है। पौराणिक ग्रंथों में सहस्त्रबाहु को कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से भी जाना जाता है। वे एक महान चक्रवर्ती राजा थे, जिनके शासन में समाज में शांति, न्याय और समृद्धि थी।

सहस्त्रबाहु का नाम भारतीय इतिहास में एक ऐसे राजा के रूप में लिया जाता है जिन्होंने भगवान परशुराम के समय में धरती पर अपना पराक्रम दिखाया। वे अत्यंत बलशाली, ज्ञानी और धार्मिक राजा माने जाते थे।

Meaning of Sahastrabahu

संस्कृत में “सहस्त्र” का अर्थ होता है “हजार” और “बाहु” का अर्थ होता है “हाथ”। यानी सहस्त्रबाहु का सीधा अर्थ है “हजार हाथों वाला व्यक्ति”। यह प्रतीकात्मक रूप से इस बात को दर्शाता है कि उनके पास अपार शक्ति और सामर्थ्य थी।

यह नाम उनके अद्वितीय बल और नेतृत्व क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है। सहस्त्रबाहु अपने समय के ऐसे राजा थे जिनकी शक्ति और शासन की चर्चा तीनों लोकों में होती थी।

सहस्त्रबाहु कौन था? (Who was Sahastrabahu?)

Sahastrabahu या कार्तवीर्य अर्जुन का जन्म हैहय वंश में हुआ था। उनके पिता का नाम कृतवीर्य था। उन्होंने भगवान दत्तात्रेय की उपासना की और उनके आशीर्वाद से सहस्त्रबाहु को हजार भुजाओं का वरदान मिला।

इस वरदान के कारण वे अपार शक्ति के स्वामी बने। उन्होंने अपने साम्राज्य में धर्म की स्थापना की और सभी दिशाओं में विजय प्राप्त की। उनका शासनकाल शांति, न्याय और समृद्धि से भरा हुआ था।

Sahastrabahu की कहानी क्या है?

सहस्त्रबाहु की कहानी भारतीय पुराणों में अत्यंत प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि एक समय उन्होंने पृथ्वी पर अनेक असुरों को पराजित कर धर्म की रक्षा की। उनके बल और पराक्रम से देवता भी प्रभावित हुए।

परंतु समय के साथ उनके मन में अहंकार बढ़ गया और उन्होंने कई ऋषि-मुनियों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। इस कारण भगवान विष्णु के अवतार परशुराम को उनके अत्याचारों से धरती को मुक्त करने के लिए अवतरित होना पड़ा।

भगवान परशुराम और सहस्त्रबाहु के बीच भीषण युद्ध हुआ, जिसमें अंततः परशुराम ने सहस्त्रबाहु का वध किया। इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि चाहे कोई कितना भी बलशाली क्यों न हो, अहंकार अंत में पतन का कारण बनता है।

सहस्त्रबाहु जयंती क्यों मनाई जाती है?

सहस्त्रबाहु जयंती मनाने का मुख्य उद्देश्य उनके पराक्रम, धर्मपालन और आदर्श शासन को याद करना है। यह दिन हमें यह संदेश देता है कि सच्ची शक्ति हमेशा धर्म की रक्षा में लगनी चाहिए। सहस्त्रबाहु को समाज में न्यायप्रिय, परोपकारी और वीर राजा के रूप में सम्मानित किया जाता है। इस दिन श्रद्धालु मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं, कथा सुनते हैं और भंडारा आयोजित करते हैं।

Sahastrabahu Jayanti 2025 Date

वर्ष 2025 में Sahastrabahu Jayanti का पर्व 28 अक्टूबर 2025 (maglwaar) को मनाया जाएगा। इस दिन कार्तवीर्य अर्जुन भगवान की मूर्ति या चित्र की पूजा कर श्रद्धालु उनकी कृपा प्राप्त करने की कामना करते हैं।

हिंदू धर्म में यह दिन धर्म, शक्ति और वीरता का प्रतीक माना गया है। कई स्थानों पर शोभायात्रा, कथा-पाठ और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

सहस्त्रबाहु किसका अवतार है? (Sahastrabahu Avatar)

पौराणिक ग्रंथों में सहस्त्रबाहु को भगवान विष्णु का आंशिक अवतार माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने संसार में धर्म की स्थापना के लिए कई अवतार लिए, और Sahastrabahu उन्हीं में से एक दिव्य रूप थे जिन्होंने अधर्म का अंत किया।

उनका उद्देश्य समाज में न्याय की पुनर्स्थापना करना और धर्म की रक्षा करना था।

Sahastrabahu Jayanti का आध्यात्मिक महत्व

सहस्त्रबाहु जयंती केवल एक पौराणिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह धर्म, नीति और शक्ति का संदेश देती है।
इस दिन लोग यह संकल्प लेते हैं कि वे सदैव धर्म के मार्ग पर चलेंगे और किसी भी स्थिति में अहंकार नहीं करेंगे।
आधुनिक समय में भी Sahastrabahu की शिक्षाएं हमें यह प्रेरणा देती हैं कि शक्ति का उपयोग सदैव भलाई और समाज सेवा में होना चाहिए।

Conclusion

Sahastrabahu Jayanti हमारे महान परंपराओं का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्चा राजा वही होता है जो अपने प्रजा के हित के लिए कार्य करे।
सहस्त्रबाहु का जीवन हमें यह सिखाता है कि शक्ति का महत्व तभी है जब उसमें नम्रता और धर्म का भाव हो।
उनकी जयंती पर हम सभी को यही संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलें।
जय सहस्त्रबाहु भगवान!

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