दोस्तों आपका happy festival में स्वागत है। kartik purnima क्यों मनाई जाती है? कार्तिक पूर्णिमा को अलग से मनाने का रहस्य (महत्त्व) क्या है? इस आर्टिकल के माध्यम से कार्तिक पूर्णिमा की कथा के बारे में जानेंगे। आप इसे पूरा पढ़ें यह जानकारी आपको बहुत ही उपयोगी लगने वाली है।
Kartik Purnima का महत्त्व
दोस्तों जैसे कि आप जानते हैं कि पूरे साल में 12 महीने होते हैं और 12 पूर्णिमा होती हैं, लेकिन kartik purnima के त्यौहार को एक नया अनोखा क्यों मानते हैं? चलिए इसकी कथा के बारे में जानते हैं।
कहा जाता है कि इस दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इसलिए इसे त्रिपुरी पूर्णिमा (Tripura Poornima) भी कहते हैं। इस तिथि को भगवान का मत्स्य अवतार हुआ था, इस दिन गंगा स्नान दीपदान आदि का विशेष महत्त्व है।
इस दिन यदि कृतिका नक्षत्र में हो तो महा कार्तिकेय होती है। BHARNI होने से विशेष फल देता है। रोहिणी होने पाए इसका महत्त्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। ब्रह्मा, विष्णु, महादेव त्रिदेव ने इस महा पुनीत पर्व को कहा है।
इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व
दोस्तों इस दिन अगर कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा हो और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो तो पदम योग होता है। जिसका बहुत कुछ महत्त्व है इस दिन चंद्रोदय का शिवा संभूति प्रीति अनुसुइया और क्षमा कृतिका ओं का पूजन बंदना करने से संभूत पुण्य फल प्राप्त होता है। रात्रि में व्रत उपरांत VRTUPRANT करके शिव लोक की प्राप्ति होती है। सिक्खों के गुरु नानक का जन्म भी kartik purnima को हुआ था। अतः इस दिन गुरु नानक जयंती भी मनाई जाती है।
निष्कर्ष:
दोस्तों अपने ऊपर दिए गए आर्टिकल के माध्यम से कार्तिक पूर्णिमा के महत्त्व के बारे में जाना। आशा है आपको ऊपर दी गई जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी और भी अधिक व्रत पूर्णिमा कथा से सम्बंधित आर्टिकल पढ़ सकते हैं। धन्यवाद,
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