Kaal Bhairav Ashtami || काल भैरव अष्टमी व्रत कथा और तिथि

Happy Festival Kaal Bhairav Ashtami, काल भैरव अष्टमी कब और क्यों मनाया जाता है? काल भैरव अष्टमी व्रत कथा एवं महत्त्व, पूजा इस आर्टिकल में आप पढ़ने वाले हैं। चलिए जानते हैं Kaal Bhairav Ashtami के बारे में विशेष जानकारी,

kaal bhairav ashtami
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Kal Bhairav Ashtami व्रत:

भैरव जयंती काल भैरव अष्टमी का व्रत मार्गशीर्ष मास की, कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भैरव जयंती मनाई जाती है। या भैरव अष्टमी कहते हैं। इसे Kaal Ashtami भी कहते हैं इस स्थिति को भैरव जी का जन्म हुआ था।

दोस्तों इस दिन व्रत रखकर के जल को अर्ध देकर भैरव जी का पूजन करते हैं। Bhairav जी की सवारी कुत्ता की है इसलिए कुत्ते का भी पूजन करते हैं। रात्रि जागरण करके भगवान शिव पार्वती की कथा सुननी चाहिए, भैरव का मुख्य अत्यार दंड है जिसके कारण हमें दंड पति भी कहते हैं। भगवान शिव के दो रूप होते हैं दोस्तों भैरव और विश्वनाथ भैरव का दिन रविवार और मंगलवार माना जाता है। दोस्तों इन दिनों इनकी पूजा से भूत प्रेत बाधा समाप्त होती है।

काल भैरव अष्टमी व्रत कथा

दोस्तों अब हम Kaal Bhairav Ashtami व्रत कथा के बारे में जानते हैं। जिसके बारे में कहा जाता है कि एक बार ब्रह्मा तथा विष्णु में यह विवाद छिड़ गया कि विश्व का धारण हार तथा परम तत्व कौन हैं? ऐसे प्रश्न उत्तर पर कुछ बहस छिड़ गई, इसके बाद विवाद को हल करने के लिए महाऋषि को बुलाया गया।

महा ऋषि ने निर्णय दिया और कहा कि परम तत्व कोई अव्यक्त सत्ता है ब्रह्मा तथा विष्णु उसी विभूतियों से बने हुए हैं। विष्णु जी ने ऋषियों की बात मान ली, परंतु ब्रह्मा जी ने यह स्वीकार नहीं किया। वे अपने को ही परम तत्व मानते थे। परम तत्व की अवज्ञा बहुत बड़ा अपमान था।

शिव जी ने तत्काल भैरव (Bhairav) का रूप धारण करके ब्रह्मा का अष्टमी के दिन गर्व चूर कर दिया। इसलिए इस दिन को Bhairav Ashtami कहा जाता है। इस प्रकार के कथा वर्णित की गई है।

2022 काल भैरव अष्टमी कब है?

दोस्तों जैसे कि काल भैरव अष्टमी 2022 में 16 नवंबर 2022 अगहन कृष्ण 8 को है।

निष्कर्ष:

दोस्तों ऊपर दिए गए आर्टिकल के माध्यम से आपने काल भैरव अष्टमी (Kaal Bhairav Ashtami) व्रत कथा पूजा के बारे में जाना। आशा है आपको ऊपर दी गई जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी।

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