Last Update: 25/06/2025
Happy Gopashtami: गोपाष्टमी कब है क्यों मनाया जाता है? इस पर्व को किस रूप में मनाते हैं Gopashtami पर्व कथा व्रत और इसका खास महत्त्व क्या है? आप इस आर्टिकल के अंतर्गत पढ़ने वाले हैं तो चलिए जानते हैं। गोपाष्टमी (Gopashtami Vart Katha) व्रत कथा और Date के बारे में तमाम जानकारी तो चले स्टार्ट करते हैं।
Nots:– इस लेख में उल्लिखित पर्व या परंपराएं विभिन्न धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिन्हें केवल ज्ञानवर्धन हेतु साझा किया गया है।

गोपाष्टमी (Happy Gopashtami)
कार्तिक शुक्ल अष्टमी गोपाष्टमी (Gopashtami) के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण को गौ चराने के लिए वन भेजा गया था। इस दिन प्रातः काल गौओं को स्नान कराकर बछड़े सहित जल, अक्षत, रोली, गुड़, जलेबी, वस्त्र तथा धूप-दीप से आरती उतारते हैं। सायंकाल गायों के जंगल से वापिस लौटने पर साष्टांग प्रणाम कर उनकी चरण रज से तिलक लगाना चाहिए।
देखा जाता है कोई ना कोई ऐसा तीज त्यौहार होता है जिसका एक कोई खास Reejan होता है। यह परंपराएँ हमारे सनातन धर्म से चली आ रही उपासना हैं। जिसमें अधिकतर देखा जाता है कि जो हमारे भगवान आराध्य देव के द्वारा किए गए अनोखे कार्य व उस दिन को हम तीज त्यौहार व्रत के रूप में मनाते हैं।
ठीक इसी प्रकार से Gopashtami का भी एक खास महत्त्व है गोपाष्टमी इस दिन बछड़े सहित गाय का पूजन करने का विधान माना जाता है और उस बछड़े को प्रातः काल गायों के साथ स्नान कराया जाता है, गौ माता के अंगों में मेहंदी रोली हल्दी आदि तमाम प्रकार के तमाम प्रकार से सजाया जाता है। गौ माता की पूजा की जाती है, आरती की जाती है फिर गौ माता को कुछ खिलाया जाता है इस प्रकार से इस Gopashtami का विशेष महत्त्व है।,
गोपाष्टमी व्रत कथा (Gopashtami Vart Katha)
Gopashtami Vart Katha कृष्ण भगवान और गायों से जुड़ी हुई कथा है। जब कृष्ण भगवान बहुत छोटे थे और बछड़ों को चराने जाते थे, तब कृष्ण भगवान ने कहा कि हे मैया बाबा में अब गायों को चराने जाऊंगा। तब नंद बाबा ने कहा अभी लल्ला तुम छोटे हो, तब कहा नहीं माँ हम जरूर गायों को चराने जाएंगे।
तब नंद बाबा ने पंडित जी को बुलाया और गाय चराने के लिए Krishna bhagwan को पहली बार प्रस्थान करना था, उनका सही शुभ मुहूर्त निकल निकलवाया। तब उन्होंने देखा कि गोपाष्टमी के दिन का शुभ मुहूर्त बना।
उस दिन गाय और बछड़ों को तैयार करके साथ में कन्हैया को भी खिला पिलाकर के गाय चराने के लिए भेजा गया और इस प्रकार से गोपाष्टमी के दिन से ही कृष्ण भगवान (Krishna bhagwan) ने गाय चराने की शुरुआत की इस दीवार को Gopashtami के रूप में मनाया जाता है।
निष्कर्ष
ऊपर दिए गए कंटेंट के माध्यम से आपने गोपाष्टमी व्रत कथा पूजा और महत्त्व (Gopashtami Vart Katha) के बारे में जाना आशा है आप को ऊपर दी गई जानकारी जरूर अच्छी लगी होगी आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद आप और कथा व्रत पढ़ सकते हैं
Happy Festival Gopashtami.
गोपाष्टमी 2025: Gopashtami Date 29 / 10 / 2025 दिन budhwaar, कार्तिक शुक्ला 8 की है।
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